महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है और इसकी जड़ें पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन की कथा में हैं। मान्यता है कि अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं, और इन्हीं स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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