लाल और सफेद रंग की ड्रेस ही क्यों पहनते हैं सैंटा क्लॉज?
सैंटा क्लॉज का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक खास तस्वीर उभरती है – एक खुशमिजाज, सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा आदमी, जो लाल रंग के कपड़े पहने हुए होता है, और उसके हाथ में बर्फ से ढका हुआ बैग होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सैंटा क्लॉज हमेशा लाल और सफेद रंग की ड्रेस ही क्यों पहनते हैं? इस सवाल का जवाब सिर्फ उनकी परंपरा और संस्कृति में नहीं, बल्कि इतिहास और मार्केटिंग की दुनिया में भी छिपा है।
इतिहास का प्रभाव
सैंटा क्लॉज की आधुनिक छवि को बनाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान था एक प्रसिद्ध कंपनी का, जिसे हम जानते हैं “कोका-कोला” के नाम से। 1930 के दशक में कोका-कोला ने अपने विज्ञापन अभियानों में सैंटा क्लॉज को एक अत्यधिक पहचान योग्य रूप में प्रस्तुत किया था, जिसमें वह लाल रंग की ड्रेस और सफेद फर से सजे होते थे। यह छवि इतनी लोकप्रिय हुई कि धीरे-धीरे सैंटा का यही रूप विश्वभर में फैल गया।
हालाँकि, सैंटा क्लॉज की उत्पत्ति संत निकोलस से हुई है, जो एक चौथी शताब्दी के बिशप थे। उनका पारंपरिक परिधान विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग था, लेकिन धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में उन्हें लाल और सफेद रंग में चित्रित किया जाने लगा। कोका-कोला के विज्ञापनों ने इस छवि को पूरी दुनिया में फैलाया, और आज यही सैंटा क्लॉज का सबसे सामान्य रूप बन गया है।
समाज में इस ड्रेस की पहचान
सैंटा क्लॉज के लाल और सफेद रंग की ड्रेस का एक बड़ा फायदा यह है कि यह आसानी से पहचानी जाती है। जब बच्चे या वयस्क किसी सैंटा को देखते हैं, तो वे तुरंत पहचान जाते हैं कि वह वही पात्र है जो क्रिसमस पर उपहार लेकर आता है। इस ड्रेस के माध्यम से सैंटा क्लॉज का संदेश – खुशी, उदारता, और त्योहार की उमंग – आसानी से फैलता है।
इसके अलावा, यह रंगों का संयोजन उस समय की संस्कृति में प्रचलित था, जब सैंटा की छवि आकार ले रही थी, और वह आज भी बनी हुई है। लाल और सफेद रंग की ड्रेस पहनने से सैंटा को एक विशेष पहचान मिलती है, जो उनके व्यक्तित्व और उनके कार्यों के अनुरूप होती है।
विज्ञापन और मार्केटिंग का असर
कोका-कोला कंपनी द्वारा 1930 के दशक में सैंटा क्लॉज के चित्रण का एक बड़ा कारण उनका मार्केटिंग अभियान था। उन्होंने सैंटा को एक ऐसा पात्र बनाया जो कोका-कोला का आदर्श प्रचारक बन सके। कंपनी ने सैंटा को न केवल एक प्रिय पात्र के रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि उनके कपड़े भी कोका-कोला के ब्रांड रंग (लाल और सफेद) के अनुरूप बनाए।
यह प्रचार इतना सफल था कि सैंटा क्लॉज की पहचान पूरी दुनिया में इस छवि के साथ जुड़ गई। इसके बाद से सैंटा का लाल और सफेद रंग की ड्रेस पहनने का चलन और भी ज्यादा बढ़ गया।
निष्कर्ष
सैंटा क्लॉज के लाल और सफेद रंग के कपड़े सिर्फ फैशन या लकीर से नहीं आए हैं, बल्कि इसके पीछे गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और व्यावसायिक कारण हैं। यह रंग न केवल सैंटा के उदार और खुशमिजाज स्वभाव को दर्शाते हैं, बल्कि एक बड़े मार्केटिंग अभियान का हिस्सा भी हैं। इन रंगों के माध्यम से सैंटा क्लॉज की पहचान आज पूरी दुनिया में बनाई गई है, और क्रिसमस के त्योहार के साथ उनकी छवि अमिट रूप से जुड़ चुकी है।
इस प्रकार, सैंटा क्लॉज का लाल और सफेद पहनावा न केवल एक रंगीन परंपरा है, बल्कि यह समाज और संस्कृति की धारा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
Share this:
- Click to share on Facebook (Opens in new window)
- Click to share on X (Opens in new window)
- Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
- Click to share on Telegram (Opens in new window)
- Click to share on Threads (Opens in new window)
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
- Click to email a link to a friend (Opens in new window)
- Click to share on Pinterest (Opens in new window)
Related
Discover more from भारतीय खबर
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
2 thoughts on “लाल और सफेद रंग की ड्रेस ही क्यों पहनते हैं सैंटा क्लॉज?”