मौनी अमावस्या पर Mahakumbh स्नान: क्या है Mauni Amavasya की धार्मिक मान्यताएं?

Mauni Amavasya और Mahakumbh: आस्था और संस्कृति का संगम

भारत की प्राचीन परंपराओं और धार्मिक उत्सवों में महाकुंभ का स्थान अद्वितीय है। महाकुंभ, जो हर 12 साल में एक बार चार प्रमुख स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर आयोजित होता है, लेकिन यह वाला महाकुंभ 144 साल बाद आया है जो की अत्यंत दुर्लभ है भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वैभव का अद्भुत प्रतीक है। इस बार Mauni Amavasya के दिन महाकुंभ के स्नान का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि यह दिन इतना खास क्यों माना जाता है।

मौनी अमावस्या का महत्व

Mauni Amavasya हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की अमावस्या को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है। “मौन” रहने और आत्मचिंतन करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए तप, दान और पूजा से कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।

महाकुंभ और मौनी अमावस्या का संबंध

महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या का दिन सबसे बड़ा और शुभ स्नान पर्व माना जाता है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाकर अपने जीवन को पवित्र करने के लिए आते हैं। यह दिन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन को ‘शाही स्नान’ के रूप में जाना जाता है, इस वर्ष, मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 को पड़ रही है, जो महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान के साथ संयोग कर रही है।
Mauni Amavasya पर Mahakumbh स्नान: क्या है मौनी अमावस्या की धार्मिक मान्यताएं?

शास्त्रों में मौनी अमावस्या की महिमा

पुराणों में वर्णित है कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा के जल में निवास करते हैं। इसलिए, इस दिन संगम में स्नान करने से सीधा ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, इस बार मौनी अमावस्या पर चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं, जो इसे और भी शुभ बनाता है। इसके अलावा, इस दिन मौन धारण करना आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का प्रतीक माना गया है।

इस बार की खासियत

इस बार Mahakumbh के दौरान मौनी अमावस्या का विशेष योग बन रहा है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस दिन ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण स्नान और पूजा का महत्व और बढ़ गया है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ साधु-संत, नागा साधु और अखाड़ों के महंत भी इस दिन स्नान करते हैं, जिससे यह दिन और भी भव्य हो जाता है। मौनी अमावस्या के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करना शुभ माना जाता है, जिससे मनुष्य को सद्गति मिलती है।
इस प्रकार, मौनी अमावस्या और महाकुंभ का संगम भारतीय संस्कृति में आस्था, आध्यात्मिकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह दिन आत्मचिंतन, शुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का अवसर प्रदान करता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

महाकुंभ न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संगम का भी प्रतीक है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस पर्व में शामिल होते हैं, जो भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाता है। मौनी अमावस्या के दिन होने वाला स्नान इन सभी पहलुओं को और अधिक पवित्र और विशेष बना देता है।

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